उत्तराखंड के प्रमुख वाद्य यंत्रों में ढोल दमाऊं का विशेष महत्त्व है,शुभ अवसरों पर इसकी थाप न सुनाई दे तो वातावरण शांत सा लगता है,उत्तराखंड की खूबसूरत अभिनेत्री दुर्गा सागर अपने अभिनय के जलवे तो पहले ही दिखा चुकी हैं लेकिन अब गायन में भी सुर्खियां बटोर रही हैं,अपने नए ढोल बजे झिंता गीत से दुर्गा फिर चर्चाओं में हैं।
दुर्गा सागर का नया गीत ढोल बाजे झिंता आज ही रिलीज़ हुआ है इससे पहले भी दुर्गा दो गढ़वाली गीतों को आवाज दे चुकी हैं जो श्रोताओं को पसंद भी आए,और एक अभिनेत्री को गायिकी बनते देख हर्षित भी हुए,इस गीत को हरिओम शरण ने संगीत दिया है,इसे रोशन रावत ने लिखा है।स्टूडियो वीडियो अरुण फरासी ने किया है।
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स्टूडियो में भी दुर्गा सागर अपनी सभ्यता एवं संस्कृति दिखाना नहीं भूली और गुलबंद पहने गीत गाते नजर आई ,एक शानदार अभिनेत्री के साथ ही दुर्गा सागर अब गायिकी से भी नाम कमा रही हैं,और ढोल बाजे झिंता उत्तराखंड के प्रमुख वाद्य यंत्र पर आधारित है तो इसकी विशेषता अलग ही झलकती है,इससे पहले भी दुर्गा ने नथुली और ऐजा मेरा मलेथा गीत से श्रोताओं को काफी प्रभावित किया था।
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उत्तराखंडी संगीत को केवल उत्तराखंड तक ही सीमित न समझा जाए क्योंकि इस संगीत का जादू दुनिया पर चला है,अब लोककलाकारों को इसे और अच्छी तरह से प्रदर्शित करने की आवश्यकता है,तभी उत्तराखंड का जो महत्व है वो विश्व पटल पर नजर आएगा।
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देवभूमि की शान ढोल पर बना ये गीत काफी आकर्षक है,ये वही थाप है जिस पर नर तो क्या नारायण तक खुद को नाचने से नहीं रोक पाते,सुनिए दुर्गा सागर की आवाज में ढोल बाजे झिंता गढ़वाली गीत।