उत्तराखंड फिल्म जगत अब नया रंग रूप ले चुका है सालों में रिलीज़ होने वाली फिल्मों का सिनेमाघरों में अंबार लगा हुआ है ,आज देहरादून स्थित सिल्वर सिटी सिनेमहॉल में गायत्री फिल्म्स के बैनर तले बनी गढ़वाली फिल्म ‘निखण्या जोग ‘ रिलीज़ हुई इसके साथ ही ये फिल्म गाजियाबाद इंदिरापुरम के जयपुरिया मॉल में भी रिलीज़ हुई। फिल्म का पहला शो हाउसफुल रहा और उत्तराखंड सिनेमा,राजनीति जगत की तमाम हस्तियों ने इसमें शिरकत की।
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‘निखण्या जोग ‘ गढ़वाली फीचर फिल्म के प्रीमियर शो पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ,गोवा एवं महाराष्ट्र में राज्यपाल के पद पर रह चुके भगत सिंह कोश्यारी,पदमश्री प्रीतम भरतवाण,बॉलीवुड अभिनेता हेमंत पांडेय मुख्य अतिथि रहे,पहला शो फिल्म से जुड़े कलाकारों के परिवारों एवं फिल्म जगत से जुड़े कलाकारों से शो हॉउसफुल रहा।
फिल्म की कहानी :
‘निखण्या जोग ‘ जैसा कि फिल्म का नाम ही प्रतीत होता है का अर्थ है कि जब इंसान की किस्मत साथ नहीं देती तो उसके मुंह का निवाला भी छीन लेती है और इसीलिए ये कहावत पहाड़ में काफी प्रचलित है जब सब कुछ सम्पन्न होने के बाद भी किसी व्यक्ति की किस्मत इतनी खराब हो जाए तो उसे कहते हैं इसका ‘निखण्या जोग ‘ है,फिल्म की कहानी भी कुछ ऐसी ही है एक लड़का है मोहन जिसके बचपन में ही माँ का साया उठ जाता है पिता को शराब की लत है सौतेली माँ है लेकिन वो सौतेला व्यवहार ही करती है।
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घर की हालात इतनी मुश्किल है कि रोजी रोटी का संकट है इसी को देखते हुए मोहन दिल्ली का रुख करता है और पेट भरने के लिए होटल में काम करता है और मेहनत लगन से एक दिन उसी होटल में मैनेजर के पोस्ट पर पहुँच जाता है,और अपनी व परिवार की जिंदगी पटरी पर ला देता है इसी दौरान शादी भी हो जाती है और वापस नौकरी पर जाकर होटल मालिक की लड़की से अनजाने मे रिश्ता जोड़ बैठता है और मजबूरन शादी कर लेता है लेकिन इस कहानी में उसकी पत्नी सीता का किरदार बहुत ख़ास बन जाता है जो ये जानकर कि मोहन ने शहर में दूसरी शादी कर ली है तब भी अपना धर्म निभाती है और रिश्ता बरक़रार रखती है और एक दिन मोहन को पता चलता है कि उसे एड्स जैसी लाइलाज बीमारी है तो वो शहर छोड़कर गाँव लौट आता है आगे की कहानी के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
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कलाकारों का परिचय :
फिल्म में मोहन के किरदार में मोहित घिल्डियाल ने काफी मेहनत की है और एक लाचार युवक के किरदार को बखूबी जिया है ,मानसी शर्मा का मॉडल अवतार उन पर एक दम फिट बैठता है ,सीता के किरदार में प्राची पंवार ने जान डाली हैहालांकि निर्देशक ने प्राची को कम स्क्रीनप्ले दिया लेकिन जब भी वो स्क्रीन पर नजर आई काफी शानदार दिखी ,मोहन की बहन के किरदार में अनुष्का ने काफी शानदार अभिनय किया,मोहन के पिता के रूप में रवि ममगाईं खूब जँचे भले ही शराबी की भूमिका थी लेकिन उनके अंदर पुत्र मोह जिन्दा रहा बिनीता नेगी ने नकारात्मक किरदार को बखूबी निभाया और कॉमेडी के रूप में राजेश जोशी और हर्ष खत्री ने दर्शकों को बीच-बीच में हंसी के डोज देने का भरपूर काम किया इन दोनों किरदारों को और सीन देते तो फिल्म और रोचक बनती ,प्रधान की भूमिका में अजय बिष्ट का अभिनय दमदार है,पुरुषोत्तम जेठुड़ी फिल्म में कब आए कब गए पता ही नहीं लग पाया।
फिल्म का सम्पूर्ण सार :
फिल्म बेरोजगारी,पलायन,पहाड़ की नारी शक्ति का बखूबी चित्रण करती है लेखक एम. आर. सकलानी ने कहानी बहुत सुन्दर रची है लेकिन इसे और रोचक बनाया जा सकता था पहाड़ी सिनेमा के दर्शक इसे कई बार पहले देख चुके हैं और अधिकांश फिल्मों का निर्माण इन्हीं विषयों पर आधारित होता है,नएपन के लिए ही दर्शक हॉल तक पहुंचता है ,निर्देशक देबू रावत ने अपना अनुभव खूब झोंका लेकिन फिल्म दर्शकों को काफी लम्बी लगी और रोचकता में कमी नजर आई ,डीओपी मनोज सती और नागेंद्र प्रसाद ने कैमरा वर्क शानदार किया है और शॉट्स का चुनाव काफी आकर्षक है ,संपादन में नागेंद्र प्रसाद ने कमाल किया है,बैकग्राउंड म्यूजिक में अमित वी कपूर ने एक बार फिर अपना जलवा दिखाया है और उत्तराखंडी फिल्मों को बड़े परदे लायक बनाया है ,फिल्म में पदमश्री प्रीतम भरतवाण का टायटल गीत है जो कई बार सुना जाएगा।
अगर आप भी इस फिल्म को देखने का मन बना रहे हैं तो सिल्वर सिटी देहरादून और जयपुरिया मॉल इंदिरापुरम रोजाना 11 बजे के शो में पहुंचिए।
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