टिहरी के बोल्या देवता कौन हैं और क्या हैं मान्यता पढ़िए पूरी खबर।

0
226
45649-2who-is-the-bolya-devta-of-tehri-and-what-are-the-beliefs-read-the-full-news

आजकल शादियों का सीजन चल रहा है और पहाड़ी गीतों का जलवा डीजे में खूब देखने को मिल रहा है,तमाम डीजे गीतों के बीच एक जागर भी अक्सर सुनने को मिलता है,इस जागर का नाम है ‘बोल्या देवता’ जिसे गीताराम कंसवाल ने आवाज दी है,और पहाड़ियों का कोई भी कार्यक्रम हो वहां बोल्या देवता जागर जरूर बजता है।

पढ़ें यह खबर: उत्तराखंड की पारंपरिक फसल कौंणी: एक स्वास्थ्यवर्धक और पौष्टिक विकल्प

हार्दिक फिल्म्स के बैनर तले वर्ष 2017 में ‘बोल्या देवता’ जागर रिलीज़ हुआ था जो अब तक 1.7 मिलियन व्यूज बटोर चुका है और लगातार पहाड़ के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बजता रहता है,बोल्या देवता जागर की रचना विशालमणि सेमवाल और सरस्वती सेमवाल ने की है और इसमें स्वर गीताराम कंसवाल ने दिए हैं,इस गीत को अशीम मंगोली ने संगीत से सजाया है।बोल्या देवता जागर पहाड़ की अलग-अलग वीडियो में देखने को मिलता है।

पढ़ें यह खबर: यूरोप तक पहुंची फिल्म Pyre,उत्तराखंड के अम्मा बुबु की लव स्टोरी देखेगी दुनिया।

इस जागर में विशालमणि सेमवाल और सरस्वति सेमवाल ने टिहरी गढ़वाल की भिलंग पट्टी के इष्ट देव चंदनीनाग बोल्या देवता की स्तुति की है और गीताराम कंसवाल के स्वरों ने इस जागर को पूरी दुनिया तक पहुँचाया,बोल्या देवता का मंदिर जंदोली गाँव में है और बोल्या देवता को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और नागवंशी माना जाता है,बोल्या देवता के बारे में स्थानीय मान्यता है कि जब भी क्षेत्र में बारिश की कमी होती है तो बोल्या देवता इसका हल निकालते हैं और बारिश होने का समय बताते हैं इसीलिए बोल्या देवता को मेघवर्णी देवता भी कहा जाता है।

क्या है मान्यता:

बोल्या देवता के बारे में मान्यता है कि एक बार दशौली बधाण गाँव के दो भाई बोल्या देवता को बद्रीनाथ की यात्रा कराने के लिए लेकर जा रहे थे तो उन्होंने भाट गॉंव में विश्राम किया और देवता की कंडी जमीन पर रखा,देवता ने सेमवाल बंधुओं से कहा कि ये जगह मेरे मन को भा गई है मुझे यहीं पर स्थापित कर दो,और तबसे जंदोली भाट गाँव में बोल्या देवता का मंदिर स्थापित है।जादोली भाट गाँव के सेमवाल बोल्या देवता के पुजारी हैं और पश्वा भी हैं।बोल्या राजा या बोल्या देवता भिलंग पट्टी के इष्ट देवता हैं और हर वर्ष बोल्या देवता की जात का आयोजन किया जाता है और बोल्या राजा को खीर का भोग और देवता की डोली पर साडा(वस्त्र) चढ़ाए जाते हैं।

 

पढ़ें यह खबर: उत्तराखंड के लिए गौरव,उस्ताद बिस्मिलाह खान पुरस्कार से सम्मानित होंगे पांडे दंपत्ति।

भिलंग घाटी के साथ ही बोल्या देवता बासर बट्टी और बांगर पट्टी में भी पूजे जाते हैं,और बोल्या देवता को बिष्णु भगवान के बालरूप में पूजा जाता है।बोल्या देवता को पशु पक्षियों का रखवाला भी कहा जाता है,और कहा जाता है कि बोल्या देवता की कृपा से क्षेत्रवासियों को कभी घी -दूध की कमी नहीं होती।

जय बोल्या राजा सुनिए ये जागर :

 

उत्तराखंड संगीत एवं फिल्म जगत की सभी ख़बरों को विस्तार से देखने के लिए हिली न्यूज़ को यूट्यूब पर सब्सक्राइब करें।