उत्तराखंड आगामी 9 नवम्बर को अपना 25वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है और स्थापना दिवस को देवभूमि रजत उत्सव के तौर पर मनाया जा रहा है,कहने को तो उत्तराखंड आज विकास के कई आयाम स्थापित कर रहा है लेकिन आज भी पहाड़ी राज्य मूलभूत सुविधाओं के लिए सड़कों पर है और ये प्रदेश घोषणाओं का प्रदेश बनकर रह गया है।ये रजत जयंती उत्सव सरकार का निजी कार्यक्रम हो सकता है अपनी उपलब्धियों को गिनाने के लिए जनता आज ना किसी रजत की उम्मीद में है और ना ही स्वर्ण की।
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उत्तराखंड की धामी सरकार उत्तराखंड स्थापना दिवस को बड़ी धूम-धाम से मनाने जा रही है,रजत जयंती उत्सव को सरकार अपनी बड़ी उपलब्धि मान रही है लेकिन आम जनता का इससे कोई लेना देना नहीं है,उत्तराखंड की आम जनता आज भी अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए सड़कों पर है,जब पूरा प्रदेश सड़कों पर है तो रजत जयंती उत्सव किसके लिए मनाया जा रहा है।
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उत्तराखंड आज घोषणाओं का प्रदेश बनकर रह गया है,एक तरफ जहाँ चुनावी माहौल में राजनेता जनता के घुटनों में पड़े रहते हैं चुनाव जीत जाने के बाद कहीं नजर नहीं आते,उत्तरखंड का युवा रोजगार की लड़ाई लड़ रहा है और लगातार उत्तराखंड में युवा अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर है,उत्तराखंड के जल,जंगल और जमीन खतरे में हैं एक मजबूत भू कानून और मूल निवास की मांग को लेकर राज्य में कई बड़े आंदोलन हो चुके हैं लेकिन आज तक कोई परिणाम नहीं निकला।
सीएम धामी ने प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन में क्या कहा:
दून विश्वविद्यालय में आज आयोजित प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन में कहा कि उत्तराखंड के मूल निवासी आज कई राज्यों में शीर्ष पर मौजूद हैं और उन राज्यों की भी आविजिका बढ़ाने में भी सहयोग कर रहे हैं,उत्तराखंड के निवासी जहाँ भी जाते हैं अपनी लोकसंस्कृति को साथ लेकर जाते हैं,उत्तराखंडियों की अपनत्व की भावना का हर कोई कायल है।इस अवसर पर रजत जयंती उत्सव के लोगो का भी अनावरण किया गया।सीएम धामी ने कहा कि 2047 में प्रधानमंत्री मोदी भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है और उत्तराखंड अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है,प्रधानमंत्री पहले भी कह चुके हैं कि इक्कीसवीं सदी उत्तराखंड की होगी साथ ही अपनी सरकार की कई उपलब्धियां भी गिनवाई,और नक़ल विरोधी कानून को बड़ी प्रमुखता से जनता के बीच रखा।

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उत्तराखंड का सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका पलायन आज तेजी से पैर पसार रहा है मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण बड़ी संख्या में पहाड़ निवासी बड़े शहरों की तरफ रुख कर रहे हैं,ना सड़क है ना अस्पताल तो पहाड़ की जनता बस अच्छे दिनों के इन्तजार में है,उत्तराखंड में कई बड़े सड़क हादसे हो चुके हैं और हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं,जब सड़क ही अच्छी नहीं होगी तो विकास किस माध्यम से गाँव-गाँव तक पहुंचेगा।शिक्षा के हाल तो और बुरे हैं कई विद्यालय तो बंद हो चुके हैं और कई बंद होने की कगार पर हैं।
ये रजत जयंती उत्सव सरकार का निजी कार्यक्रम हो सकता है अपनी उपलब्धियों को गिनाने के लिए जनता आज ना किसी रजत की उम्मीद में है और ना ही स्वर्ण की।
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