बीते कुछ वर्षों से उत्तराखंड फिल्म जगत की स्थति सुधरी है और अब लगातार क्षेत्रीय सिनेमा की फ़िल्में रिलीज़ हो रही हैं जो उत्तराखंड फिल्म जगत के लिए सुनहरा अवसर है,राज्य सरकार भी स्थानीय सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए निर्माताओं को सब्सिडी के रूप में समर्थन दे रही है,कई निर्माता आगे आकर अब उत्तराखंडी परिवेश पर आधारित फिल्मों का निर्माण कर रहे हैं,ऐसी ही एक गढ़वाली फिल्म ‘दद्दी कु बक्सा ‘ इन दिनों डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज़ हुई है जो दर्शकों को खूब पसंद आ रही है आइये देखते हैं क्यों ये फिल्म दर्शकों को इतनी पसंद आ रही है।
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दद्दी कु बक्सा सितम्बर माह में देहरादून,विकासनगर और टिहरी के सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी और तबसे ही ये फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आई और अब डिजिटल प्लेटफार्म ‘हार्दिक फिल्म्स एंटरटेनमेंट’ पर रिलीज़ होने के बाद दर्शक इसको खूब पसंद कर रहे हैं और कम समय में ही ये फिल्म दर्शकों के दिल जीतने में सफल हो रही है,इस फिल्म में एक अलग तरह का कांसेप्ट देखने को मिला जिससे ज्यादा दर्शक फिल्म से जुड़ रहे हैं,और उत्तराखंड सिनेमा जगत में हार्दिक फिल्म्स लगातार देश विदेश और पहाड़ में रहने वाले दर्शकों के लिए अपने चैनल के माध्यम से उत्तराखंडी फिल्मों का प्रदर्शन कर रहा है जो कि सराहनीय प्रयास है।
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फिल्म चार भाइयों की कहानी है जो अब शहरों में बस चुके हैं और इनकी एक दादी है जो अभी भी गाँव में रहती है,समय के साथ पोते तो दादी को भूल गए लेकिन दादी आज भी अपने नातियों का जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाती है,एक दिन अचानक दादी अपने पोतों की राह देखते-देखते स्वर्ग सिधार जाती है,इसके बाद कहानी शुरू होती है और जो पोते शहरों में बसे हैं उनको खबर हो जाती है वो कि अब दादी नहीं रही लेकिन दादी जरूर कुछ ना कुछ छोड़ गई होगी उसी को पाने की लालसा से सब गाँव भागते हैं,वैसे तो ये एक भावनात्मक सीन लगता है लेकिन फिल्म में ये काफी हास्य पैदा करता है आप फिल्म देख्नेगे तो ज्यादा बेहतर समझेंगे।
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उत्तराखंड के सिनेमा में ये अलग तरह की फिल्म बनी है इसमें कॉमेडी भी है थोड़ा हॉरर भी है और सन्देश भी,एक फिल्म में जो कुछ हो सकता है वो सब इसमें मौजूद है,युवाओं की सोच ने उत्तराखंड के सिनेमा को इतनी बेहतरीन फिल्म दी है,जी हाँ इस फिल्म की कहानी लिखने से लेकर निर्देशन तक सब युवाओं की टोली है जिन्होंने अपनी सोच से इतनी बेहतरीन फिल्म का निर्माण किया है।फिल्म शुरू से लेकर अंत तक दर्शकों को बांधे रखती है जो इसकी सफलता झलकाती है,मॉडर्न पहाड़ियों की ये फिल्म भरपूर मनोरंजक है।
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नागेंद्र प्रसाद ने शानदार कहानी लिखी है और विजय भारती का निर्देशन भी काफी कमाल का है,अजय सोलंकी ने बड़े परदे पर दद्दी कु बक्सा से डेब्यू किया है और अपनी एक्टिंग स्किल्स का परिचय दिया है और इस फिल्म को देखकर लगता है कि अजय वो हीरा है जिसे काफी देर बाद तराशा गया,फिल्म में मंजू बहुगुणा का किरदार सबसे ख़ास है,जीवित भी और मृत होने के बाद भी मंजू ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है,राजेश जोशी और शिव कुमार ने अपनी कॉमेडी से भरपूर मनोरंजन किया है दोनों की ही टाइमिंग काफी शानदार है और दर्शकों को हंसाने में सफल होते हैं,शिवानी भंडारी इस फिल्म में काफी शानदार नजर आई वहीँ प्राची भी कमली फिल्म के बाद बड़े परदे पर शानदार दिखी,छोटा लेकिन आनंद सिल्सवाल का किरदार फिल्म को रोचक बनाता है,पुरुषोत्तम जेठुड़ी,पदम् गुसाईं ,आयुषी जुयाल,कंचन रावत का अभिनय भी दर्शकों को खूब पसंद आया,विजय भारती ने निर्देशन के साथ ही एक्टिंग भी कमाल की है।
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फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक काफी शानदार है जो एक कॉमेडी फिल्म में जान डालता है वहीँ हर किरदार के लिए अलग म्यूजिक तैयार करना आशीष पंत की मेहनत को दर्शाता है जो फिल्म को रोचक बनाता है,फिल्म में कई ऐसी चीजें हैं जो इसको अलग बनाती हैं,कास्टिंग से लेकर फिल्म के गीतों में काफी मेहनत की गई है,पदमश्री प्रीतम भरतवाण,अंजलि खरे,अमित खरे,प्रतीक्षा बमराड़ा,आशीष पंत,पदम् गुसाईं के गीत इसमें हैं और सूरज त्राटक ने टायटल सॉन्ग में रैप का तड़का लगाया है,और कास्टिंग सॉन्ग छोटे-छोटे बच्चों ने गाया है,गढ़वाली भाषा की ये फिल्म हर वर्ग को खूब पसंद आ रही है,नौजवानों से लेकर बुजुर्गों तक हर कोई इसे पसंद कर रहा है खासकर बच्चे इस फिल्म को खूब पसंद कर रहे हैं,फिल्म के जरिए पहाड़ों के पलायन को दिखाया गया है और भूलते रीति रिवाजों को याद दिलाया गया है।
अगर अभी तक फिल्म नहीं देखी तो उत्तराखंड के सिनेमा में ये नया प्रयास मिस कर रहे हैं जल्दी से देखिए।
दद्दी कु बक्सा में आखिर बक्से में था क्या :
देखिए दद्दी कु बक्सा की पूरी टीम ने दद्दी कु बक्सा फिल्म पर क्या कहा।