नेगी दा की ऐसी रचना जिसने पीढ़ियों की बात कह दी,नए गीत ने कर दिया सबको भावुक।

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गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी का नया गीत ‘भाबर नि जौंला ‘ आज सुबह यूट्यूब पर रिलीज़ किया गया।इस गीत ने ऐसा माहौल बना दिया मानो पहाड़ों की ठंडी सर्द रातों के बाद बसंत की सुबह का आगमन हो गया हो,पहाड़ के प्रति नेगी दा के प्रेम और चिंता की झलक इस गीत में भी साफ़ देखने को मिली,वही कंठ वही साज जिसके दशकों से उत्तराखंड के संगीत प्रेमी दीवाने हैं जितना इस गीत ने दिल को सुकून दिया उतना ही वीडियो ने भावुक करने पर भी मजबूर कर दिया।

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नरेंद्र सिंह नेगी ऑफिसियल चैनल से ‘भाबर नि जौंला’ आज वीडियो फॉर्मेट में रिलीज़ किया गया,गीत में नेगी दा के साथ युवा गायिका प्रतीक्षा बमराड़ा ने सुर लगाए,गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी उत्तराखंड संगीत के वो विशाल वृक्ष हैं जिनकी छाया में नई पीढ़ी के गायकों को भी छाया मिल रही है,नेगी दा के साथ गायन किसी भी गायक और गायिका के लिए सपने के सच होने जैसा है,इससे पहले स्याली रामदेई गीत में अंजलि खरे ने नेगी दा के साथ आवाज दी और अब इस गीत में नेगी दा श्रोताओं के बीच प्रतीक्षा बमराड़ा को लेकर आए हैं।

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‘भाबर नि जौंला’ गीत को विनोद चौहान ने संगीत से सजाया है,पहाड़ और पलायन पर केंद्रित जितनी सुन्दर ये रचना है,वीडियो टीम ने भी एक-एक शब्द को भाव देने का सफल प्रयास किया है जो दर्शकों को स्क्रीन पर टकटकी लगाए रखने के लिए काफी है ये उस दौर की कहानी है जब पहाड़ों में इतनी सुःख,सुविधा नहीं थी सड़क,बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएँ नहीं थी तब भी उस समय के लोगों ने पहाड़ों को जिन्दा रखा,शैलेन्द्र पटवाल और अंजलि नेगी के अभिनय ने इस गीत के हर एक शब्द को अपने अभिनय से जीवंत किया है।

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पहाड़ हमेशा से ही स्त्री प्रधान रहा है और पहाड़ की महिलाओं के दम पर ही आज भी पहाड़ का कुछ हिस्सा जीवित है,पुरुष वर्ग तो परिवार के लालन-पालन और रोजगार की तलाश में शहरों की और रूख करते आए हैं और पहाड़ को महिलाओं ने ही संभाला,इस गीत में भी वही देखने को मिला।एक और जहाँ गीत का नायक पहाड़ों की सर्द रातों से दूर भाबर जैसे तराई क्षेत्र में जाने की बात करता है कुछ रोजगार ढूंढ़ने की बात करता है वहीँ नायिका उसे समझाने का प्रयास करती है कि जैसा भी है अपना घर अपना गाँव छोड़कर हम नहीं जा सकते यहाँ जो भी परिस्थिति होगी उसे हंसी ख़ुशी काट लेंगे और यहीं अपने लिए रोजगार के अवसर ढूंढेंगे।कविलास नेगी और सोहन चौहान के निर्देशन में बने इस चित्रगीत ने असल पहाड़ को बड़ी बारीकी से स्क्रीन पर उकेरा है,गोविन्द नेगी ने अपने फिल्मांकन एवं संपादन से निर्देशकों की पटकथा को दर्शकों के सामने बड़ी सहजता से उकेरा है।

देखिए ये वीडियो:

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