उत्तराखंड का श्री केदारनाथ मोक्ष धाम है,बड़े बुजुर्ग कहते थे कि जब सांसारिक बंधनों से ऊब जाओ तो बाबा केदार के दर पर चले जाओ ,भगवान् शिव के बारह ज्योत्रिलिंगों में शामिल इस पावन धाम का निर्माण पांडवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने करवाया था बाद में शंकराचार्य ने इसका जीर्णोद्धार करवाया,यहाँ पर भोलेनाथ स्वयंभू शिवलिंग रूप में विराजमान हैं,सदियों से आस्था का केंद्र रहा ये मंदिर इस वर्ष मोक्ष धाम नहीं बल्कि पर्यटक स्थल बनकर रह गया है।
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इस बार की केदारनाथ यात्रा ने वो सब दिखाया है जिसे नहीं देखा जाना चाहिए था,सोशल मीडिया का क्रेज और व्यूज बटोरने वालों की इस बार केदारनाथ में बड़ी तादाद देखने को मिली,आस्था के केंद्र को ट्रैक समझकर जाने वाले उस पावन धाम की महिमा नहीं समझ पाए,जिस भगवान् शिव ने पांडवों को गौत्र हत्या की मुक्ति के लिए अपने धाम तक पहुंचाने के बाद भी आसानी से दर्शन नहीं दिए तो सोशल मीडिया और हाथों में कैमरा लिए बस वहां की कमियों को गिनाने वाले किस मोक्ष की कल्पना कर रहे हैं।
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2013 की आपदा से हम सबने कोई सबक नहीं लिया जब चहुँ ओर त्राहिमाम त्राहिमाम मच गया हजारों लोग आपदा में बह गए ये हमारे कर्मों का ही तो फल है,12000 फ़ीट की ऊंचाई पर जब हद से ज्यादा दबाव पड़ेगा तो प्रकृति इसे कैसे झेल पाएगी,सदियों से केदारधाम अब भी वहीँ हैं आपदा मंदिर को छोड़कर सब कुछ बहा ले गई।
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केदारनाथ यात्रा में इस वर्ष जो दिखा वो बढ़ते सोशल मीडिया के प्रचलन का ही परिणाम है,केदारनाथ के गर्भग्रह पर नोट उड़ाती एक वीडियो ने लाखों करोड़ों श्रधालुंओं के मन को व्यथित कर दिया,जिस गर्भगृह की फोटो लेना तक वर्जित है उसपर ऐसा कृत्य कहीं से भी शोभनीय नहीं है ना ही वहां खड़े लोगों ने इसको रोकने का प्रयास किया,आए दिन वहां से ऐसी खबरें,फोटो,वीडियो सोशल मीडिया पर तैर रही हैं जो बाबा केदार के भक्तों को बिलकुल भी रास नहीं आ रही।
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रील्स पर व्यूज बढ़ाने के चक्कर में वहां कुछ लोग अपने साथी को प्रपोज करने लगे तो हाल ही में वहां मांग भरने वाली वीडियो भी सामने आई है,जिससे देश विदेशों में रहने वाले शिव भक्तों को ये रास नहीं आ रहा,आप ही सोचिए हम मंदिर क्यों जाते हैं और वहां जाने का हमारा उद्देश्य क्या होता है बस मन की शांति और भगवान के प्रति अपना समर्पण,मंदिर के सामने फोटो और वीडियो ना भी खिंचवाओ तो तब भी हमें वही फल मिलेगा जो भगवान ने हमें देना होगा,लेकिन सोशल मीडिया का कीड़ा लोगों को सिर्फ व्यूज बटोरंने तक ही सीमित रखता है,यह भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है।
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मंदिर समिति ने बढ़ते इस प्रचलन पर सख्ती दिखाने का निर्देश दिया है और मंदिर परिसर में ऐसे वीडियो बनाने वालों पर कार्यवाही करने का भी कदम उठाया है।कई लोग धाम में चीजों के दाम पर भी सवाल उठाते हैं लेकिन वही लोग शहरों में मैगी के लिए 40 से 50 रुपए देते हुए नहीं सोचते,कुछ लोग घोड़े खच्चरों पर भी सवाल उठाते हैं और पशुप्रेमी बनते हैं जबकि कई अन्य जगहों पर भी घोड़े खच्चरों से यात्रा की जाती है।
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