विश्व प्रसिद्ध है ये फूलों की घाटी, जहां हर चीज लगती है खूबसूरत सपना

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भारतीय राज्य उत्तराखंड में स्थित फूलों की घाटी अपने फूलों, हरियाली और स्वच्छ वातावरण के लिए विश्व विख्यात है, अंग्रेजी में Valley of Flowers के नाम से जाना जाता है, Valley of Flowers Trek हिमालय में भारत के सबसे लोकप्रिय ट्रेक में से एक है, जहां की खूबसूरती का लुफ्त उठाने के लिए लोग सालों साल इंतजार भी करते हैं.

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समुद्रतल से 12995 फीट की ऊंचाई और 87.5 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली विश्व धरोहर फूलों की घाटी में जहां प्रतिवर्ष भारी संख्या में पर्याटक पहुंचते हैं, फूलों की घाटी की खोज का श्रेय ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथे, आर एल होलड्सवर्थ और एरिक शिप्टन को जाता है, जो 1931 में माउंट केमेट के एक सफल अभियान के बाद संयोग से इस घाटी में पहुंच गए थे, स्मिथे ने 1938 में “द वैली ऑफ फ्लावर्स” पुस्तक लिखी.

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इस स्थान की सुंदरता से आकर्षित होकर उन्होंने इसे “फूलों की घाटी” का नाम दिया, वैली ऑफ फ्लावर्स में कई अलग-अलग रंग के फूल हैं, जो समय के साथ-साथ रंगों के विभिन्न रंगों को ले जा रहे हैं, 1982 में घाटी को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था और अब यह एक विश्व धरोहर स्थल है.

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(Valley of Flowers) हर वर्ष एक जून से 31 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहती है, फूलों की घाटी भ्रमण के लिये जुलाई, अगस्त व सितंबर के महीनों को सर्वोत्तम माना जाता है, सितंबर में ब्रह्मकमल खिलते हैं, घाटी में 500 से अधिक प्रजाति के रंग-विरंगे फूल खिलते हैं, साथ ही दुर्लभ प्रजाति के जीव-जंतु, वनस्पति व जड़ी-बूटियों का भी यहां भंडार है, घाटी में कस्तूरी मृग, मोनाल, हिमालयन काला भालू, हिम तेंदुआ आदि के भी प्राकृतिक आवास हैं.

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बता दें फूलों की घाटी गढ़वाल क्षेत्र में जोशीमठ के पास भुइंदर गंगा के ऊपरी विस्तार में स्थित है, गोबिंदघाट के पास भुइंदर गंगा की निचली पहुंच को भुइंदर घाटी के नाम से जाना जाता है, फूलों की घाटी नंदादेवी पार्क से 23 किमी उत्तर-उत्तर पश्चिम में पुष्पवती घाटी में है, संपूर्ण नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व पश्चिमी हिमालय एंडेमिक बर्ड एरिया (EBA) के भीतर स्थित है, वैली ऑफ फ्लावर्स नेशनल पार्क नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व का दूसरा मुख्य क्षेत्र है, EBA के इस हिस्से में सात प्रतिबंधित-रेंज पक्षी प्रजातियां स्थानिक हैं.

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