दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर पर मंडराया संकट, हैरान कर रही वजह

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लंबे समय से प्राकृति की मार झेल रहे उत्तराखंड में लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही है, साल 2013 में आई आपदा, चमोली में ग्लेशियर टूटने वा जोशीमठ पर दरार पड़ने जैसे मामले लगातार उत्तराखंड में डर का माहौल बनाए हुए हैं, जो सिलसिला लगातार बना हुआ है, इस बार यह खबर तुंगनाथ मंदिर को लेकर से सामने आई है जहां संकट मंडराने की बात कही जा रही है.

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उत्तराखंड स्थित तुंगनाथ मंदिर जहां लाखों में लोग भगवान के दर्शन हेतु पहुंचते हैं, आज वही मंदिर खतरे में है, जानकारी के मुताबिक 12 हजार 800 फीट की ऊंचाई पर स्थित दुनिया का सबसे ऊंचाई पर बना तुंगनाथ शिव मंदिर का स्ट्रक्चर धीरे-धीरे झुकता जा रहा है, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार मंदिर के स्ट्रक्चर में 6 डिग्री जबकि इसकी मूर्तियों में 10 डिग्री का झुकाव आया है..

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तुंगनाथ ऐसी स्थिति देखते हुए सरकार को सुझाव दिया गया है कि इस स्मारक को संरक्षित घोषित किया जाए, इस सुझाव के बाद तुंगनाथ मंदिर को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देते हुए संरक्षित घोषित किए जाने की कार्यवाही शुरू हो चुकी है, अब ASI मंदिर के झुकने की वजह तलाश रही है, ASI की देहरादून सर्किल के सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट मनोज कुमार सक्सेना ने बताया सबसे पहले तो हम तुंगनाथ मंदिर में झुकाव और डैमेज की वजह जानने की कोशिश करेंगे, और अगर संभव हुआ तो फौरन रिपेयर का काम शुरू करेंगे, इसके साथ ही मंदिर परिसर के निरीक्षण के बाद डिटेल प्रोग्राम तैयार किया जाएगा.

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वर्ष 1991 के उत्तरकाशी भूकंप और 1999 के चमोली भूकंप के साथ ही 2012 की ऊखीमठ व 2013 की केदारनाथ आपदा का भी इस मंदिर पर असर पड़ा है। मंदिर की बाहर की दीवारों से कई जगहों पर पत्थर छिटके हुए हैं। सभामंडप की स्थिति काफी खराब हो गई है.

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