अपने इस पोस्ट में आज हम आप आपको उत्तराखँड के ऐसे मंदिर की घर बैठे सैर कराएंगे जिसे उत्तराखँड की रक्षक कहा जाता है, जी हां आज हम बात करेंगे उत्तराखंड की रक्षक माई मां धारी देवी की, जो इन दिनों खूब सुर्खियों में बनी हुई हैं.
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भारत में वैसे तो कई प्रसिद्ध प्राचीन और रहस्यमय मंदिर है, परंतु आस्था के लिए प्रसिद्ध राज्य उत्तराखंड की अपनी अलग पहचान है, यूं तो उत्तराखंड में अनगिनत प्रसिद्ध मंदिर मौजूद हैं, उन्हीं मंदिरों में से एक नाम मां धारी देवी के मंदिर का भी शामिल हैं, श्रीनगर गढ़वाल से 14 किलोमीटर दूर कलियासौड़ के नजदीक स्थित इस मंदिर को लेकर यह बात कही जाती है कि यहां हर दिन एक चमत्कार होता है.
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दरअसल इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यह एक चम्तकारी मंदिर है, कहते हैं मंदिर में मौजूद माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। मूर्ति सुबह में एक कन्या की तरह दिखती है, फिर दोपहर में युवती और शाम को एक बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है, यह नजारा वाकई हैरान कर देने वाला होता है, पौराणिक समय के अनुसार जब इस मूर्ति के स्थानांतरण की कोशिश की गई तो उस समय उत्तराखंड की केदार घाटी में एक बहुत बड़ा प्रलय आ गया था, हालंकि अब धारी देवी की प्रतिमा के स्थानांतरण को लेकर अब उत्तराखंड सरकार द्वारा बड़ा कदम उठाते हुए प्रतिमा को नए मंदिर में स्थापित करने की तैयारी है, जिसकी जानकारी देते हुए मंदिर के पुजारी न्यास के सचिव जगदंबा प्रसाद पांडे का कहना हैं कि धारी देवी, भैरवनाथ और नंदी की मूर्तियों को अस्थायी स्थान से 28 जनवरी की सुबह शुभ मुहूर्त में मंदिर परिसर में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। इस दिन सुबह 9.30 बजे के बाद मंदिर दर्शनार्थियों के लिए खोला जाएगा, यानि की पूरे नौ साल बाद उत्तराखंड की रक्षक धारी देवी मां अपने मंदिर में विराजमान होने जा रही हैं.
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देवी काली माता को समर्पित यह मंदिर कलियासौड़ इलाके में अलकनंदा नदी के बीचों बीच स्थित है, बता दें धारी देवी की मूर्ति का ऊपरी आधा भाग अलकनंदा नदी में बहकर यहां आया था तब से मूर्ति यही पर है, तब से यहां देवी “धारी” के रूप में मूर्ति पूजा की जाती है, मूर्ति की निचला आधा हिस्सा कालीमठ में स्थित है, जहां माता काली के रूप में आराधना की जाती है, वहीं धारी देवी के इस मंदिर को लेकर यह बात कहते हैं कि आज तक जो भी माँ धारी देवी के दर पर गया सच्चे दिल से मांगी उसकी हर इच्छा पूरी हुई है, हर साल नवरात्रों के अवसर पर देवी कालीसौर को विशेष पूजा की जाती है, देवी काली के आशीर्वाद पाने के लिए दूर और नजदीक के लोग इस पवित्र दर्शन करने आते रहे हैं.
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