पहाड़ की संस्कृति और यहां की हसीन वादियां जो आपके मन को तृप्त कर देती हैं, जिसका लुफ्त उठाने के लिए देश-विदेशों से लोग यहां घूमने आते हैं, वहीं यहां के व्यंजन भी कुछ कम नहीं हैं जिसे चखने वाला हर पर्यटक उंगलियां चाटने पर मजबूर हो जाता है.
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड का चोपता है मिनी स्विट्ज़रलैंड, घूमने का प्लान है तो पढ़िए ये खबर।
उत्तराखंड भारत के खूबसूरत राज्यों में से एक है, जो अपनी पहाड़ी सुंदरता, कला, संस्कृति और खाने के लिए प्रसिद्ध है, ठीक इसी तरह उत्तराखंड अपने स्वादिष्ट भोजन के लिए भी जाना जाता है,उत्तराखँड का पहाड़ी भोजन न सिर्फ स्वाद में आगे होता है, बल्कि यह पौष्टिक भी होता है। इसलिए तमाम लोग आज इसे एक नया रूप दे रहे हैं। कभी झंगोरे के मफिन बनाकर, तो कभी सिसूण का सूप बनाकर इनकी लोकप्रियता बढ़ा रहे हैं, उत्तराखंड के फेमस खाने की एक अनोखी बात ये है कि यहां खाना जलती हुई लकड़ियों और कोयला पर पकाया जाता है। इसकी वजह से खाना स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी बनता है।
यह भी पढ़ें: चोपता बना बेस्ट शूटिंग डेस्टिनेशन ! त्यारा सौं वीडियो हुआ रिलीज़।
यहां जानिए उत्तराखँडी व्यंजनों की कई वैरायटी
जब भी उत्तराखंड के फेमस व्यंजनों की बात की जाती है तो उसमें कंडाली (Kandaali ka Saag) के साग का नाम सबसे पहले सामने आता है, कंडाली कांटेदार होती है, लेकिन उबालकर बनाई गई सब्जी खाते वक्त कांटों का अहसास नहीं होता, मुलायम कांटेदार होने के कारण कंडाली के पत्तों या डंडी को सीधे नहीं छुआ जा सकता। यह अगर शरीर के किसी हिस्से में लग जाए तो वहां सूजन आ जाती है और बहुत ज्यादा जलन होती है। लेकिन, इसके साग का कोई जवाब नहीं.
पहाड़ी डिश में कई ऐसे व्यंजन है जो न सिर्फ हेल्दी होते हैं बल्कि स्वाद में भी लाजवाब होते हैं। उन्हीं में से एक है काली दाल (उड़द दाल) से बनने वाली रेसिपी चैंसू या फिर चौसा, इसे उड़द या काली दाल के साथ बनाया जाता है, इसका स्वाद मिट्टी जैसा है और यह पंजाबी की माकी दाल को कड़ी टक्कर देता है।
इसे कोदा या मडुआ कई अलग-अलग स्थानीय नामों से प्रसिद्ध है, उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल में उगाया जाने वाला मंडुवा पौष्टिकता का खजाना है। यहां की परंपरागत फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है, बहुत ही सादा और उत्तराखंड का मुख्य अनाज है इसका दाना राइ के दाने की तरह होता है। पीसने पर हलके काले रंग का आटा होता है और उपयोग बिलकुल गेहूं के आटे की तरह होता है, वहीं बता दें देश के अन्य राज्यों में इसे रागी, नागली व कोदा इत्यादि नामों से जाना जाता है। उत्तराखंड में 136 हजार हेक्टेअर क्षेत्र में इसकी खेती की जाती है। यह गरीब के घर संतुलित आहार का भी आधार है.
गहत की दाल से बनाए जाने वाला फाणु सभी उत्तराखंडियों की प्रिय दाल है, यह एक प्रकार का सूपी व्यंजन है जिसका स्वाद अनोखा होता है, सर्दियों में फाणू-भात उत्तराखंड में बहुत ज्यादा खाया जाता है।
अरसा उत्तराखंड गढ़वाल का एक बहुत ही खाश पहाड़ी पकवान है। इसे पहाड़ी मिठाई भी कहा जाता है, आमतौर पर इसे पहाड़ी शादियों में इसे बनाया जाता है, स्वाद और सेहत से भरपूर इस पकवान की खासियत यह है कि इसे गरमागरम खाएं या एक महीने बाद स्वाद में कोई फर्क नहीं मिलेगा, गढ़वाल क्षेत्र में खासकर लोग इसका खूब आनंद लेते हैं
हिलीवुड जगत स जुड़ी अन्य खबरों के लिए बने रहे हमारे यूट्यूब चैनल के साथ