पहाड़ की समाजसेवी बसंती देवी को मिला पद्माश्री सम्मान, जानिए उनकी पहचान।

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पहाड़ की समाजसेवी बसंती देवी को मिला पद्माश्री सम्मान, जानिए उनकी पहचान।

कठोर जिंदगी के बाद भी,जिसने हालातों से लड़ना सीखा

पति के जाने के बाद भी जिसने हिम्मत ना हारी

परेशानियों का सामना कर, जिसने आगे बढ़ने की ठानी

ऐसी ही है बसंती देवी की कहानी.

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सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद(Ram Nath Kovind) ने खेल, साहित्य, सैन बल और सामाजिक क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण उल्लेखनीय योगदान देने वाले लोगों को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री, पद्म विभूषण और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जिसमें एक नाम उत्तराखंड(Uttarakhand) की बंसती देवी का भी शामिल था, जिन्हें समाजसेवा और कोसी नदी को पुर्नेजीवित करने में उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है.

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पद्माश्री पुरस्कार लेने के दौरान बसंती देवी साधारण सूती साड़ी और चप्पल पहनें जब पुरस्कार(Padma Shri Award) ग्रहण कर रही थी तो उत्तराखंड की सादगी और सरलता उनसे झलक रही थी, बता दें कि पीएम मोदी ने अपने कार्यक्रम मन की बात के  85वां संस्करण में उत्‍तराखंड की बसंती देवी का जिक्र किया, मोदी ने बसंती समेत कुछ ऐसे नामों का जिक्र किया था जो कि किसी तरह के प्रचार के बगैर चुपचाप अपना काम करते रहे, जिन्हें मोदी ने गुमनाम नायक का नाम भी दिया था.

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बता दें कि बसंती देवी(Basanti Devi) पिथौरागढ़ के बस्तड़ी की रहने वाली हैं, उन्होंने पूरा जीवन संघर्षों के बीच जीया है, बसंती ने 14 वर्ष की उम्र में अपने पति को खो दिया, ससुराल द्वारा ठोकर मारे जाने के बाद वो आश्रम में रहने लगीं, यहां रहकर उन्‍होंने नदी को बचाने के लिए संघर्ष किया और पर्यावरण के लिए असाधारण योगदान दिया, उन्‍होंने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए भी काफी काम किया है.

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