उत्तराखंड के लिए गौरव का पल डॉ माधुरी बर्थवाल कला के क्षेत्र में पदमश्री से सम्मानित।

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उत्तराखंड की प्रथम महिला संगीतकार डॉ माधुरी को वर्ष 2022 के लिए पदमश्री सम्मान से नवाजा गया है,यह उत्तराखंड कला जगत के लिए गर्व की बात है,डॉ बर्थवाल को देश का शीर्ष चौथा नागरिक सम्मान मिला है,इससे पहले वर्ष 2019 में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने डॉ माधुरी बर्थवाल को अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था।

23238-2proud-moment-for-uttarakhand-dr-madhuri-barthwal-was-awarded-padma-shri-in-the-field-of-artपढ़ें यह खबर: पहाड़ का ये रैपर दिल्ली में रहते हुए कर रहा उत्तराखंड के लिए काम। पढ़ें रिपोर्ट।

डॉ माधुरी बर्थवाल उत्तराखंड की लोकगायिका हैं,पदमश्री से सम्मानित डॉ बर्थवाल ऑल इण्डिया रेडियो में बनने वाली पहली महिला संगीतकार हैं साथ ही वह उत्तराखंड की पहली महिला संगीतकार हैं जो संगीत की शिक्षिका बनी।डॉ बर्थवाल के पिता चंद्रमणि उनियाल भी एक गायक व सितारवादक थे,अपनी स्नातक की पढाई ख़त्म करने के बाद इन्होने लैंसडौन  कॉलेज में संगीत शिक्षक के रूप में कई वर्षों तक अपनी सेवाएं दी।

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इसके साथ ही डॉ माधुरी बर्थवाल नजीबाबाद ऑल इण्डिया रेडियो में संगीत की रचना कर रही थी,डॉ बर्थवाल उत्तराखंड के लोकसंगीत को आगे बढ़ाती रही और अपने कार्यक्रम ‘धरोहर’ से यहाँ की लोकविरासत एवं लोकसंगीत को बढ़ावा देने का काम किया,डॉ बर्थवाल उत्तराखंड के पारम्परिक वाद्य यंत्रों की ज्ञाता हैं साथ ही अन्य संगीतकारों को भी संगीत बनाने में मदद करती हैं।

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डॉ माधुरी बर्थवाल ने उत्तराखंड के हर हिस्से का दौरा किया और स्थानीय कलाकारों एवं गायकों को संगीत की शिक्षा दी,प्रसिद्धि से दूर रहकर डॉ माधुरी बर्थवाल ने उत्तराखंड के लोकसंगीत के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निरंतर कार्य किया इसकी प्रेरणा उन्हें अपने पिता श्री चंद्रमणि उनियाल से मिली।

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डॉ माधुरी बर्थवाल ने उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के साथ ‘स्याली हे बसंती स्याली’ जैसे लोकप्रिय गीत को आवाज दी है।पदमश्री एवं नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित डॉ बर्थवाल पिछले चार दशकों से उत्तराखंड के लोकसंगीत के लिए कार्यरत हैं और आज भी इसके संरक्षण हेतु समर्पित हैं।

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