लोकभाषा के संरक्षण में सराहनीय कदम ,मनमोहन गौनियाल ने रची माँगलिक शैली में सरस्वती वंदना।

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किसी भी व्यक्ति के जीवन में प्राथमिक शिक्षा का अहम् योगदान होता है,और व्यक्तित्व विकास की पहली नींव यहीं से रखी जाती है,विद्यालयों में होने वाली सरस्वती वंदना से हर दिन की शुरुआत होती है इसमें अब एक खुश-खबरी है कि पहाड़ के नौनिहाल अब इसे अपनी लोकभाषा में गा सकेंगे,माँगलिक शैली में प्रथम उत्तराखंडी सरस्वती वंदना यूट्यूब पर उपलबध है। 

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माँगलिक शैली में सरस्वती वंदना को मनमोहन गौनियाल ने रचा एवं स्वर दिए हैं,इसे संगीत से प्रसिद्ध संगीतकार रणजीत सिंह ने सजाया है,मनमोहन गौनियाल मनु ऑफिसियल से गढ़वाली सरस्वती वंदना को रिलीज़ किया गया है।मनमोहन स्वयं पेशे से शिक्षक हैं एवं उनका लोकभाषा के संरक्षण के प्रति ये प्रयास सराहनीय है।

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मनमोहन गौनियाल एक तरफ नौनिहालों को शिक्षा भी देते हैं तो वहीँ विगत कई वर्षों से उत्तराखंडी संगीत के प्रति भी समर्पित हैं,इनके गाए हुए कई गीत यूट्यूब पर खूब धमाल मचाते हैं,रूडी बौ,चंद्रा छोरी,और सुपरहिट गीत सुमन ना ह्वेई नाराज जैसे कई सुपरहिट गीतों को आवाज दे चुके हैं।

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मनमोहन गौनियाल के इस प्रयास की हर कोई प्रसंशा कर रहा है और लोकभाषा के संरक्षण में इसको अहम योगदान बता रहा है,जिसके लिए मनमोहन बधाई के पात्र हैं।अब इस सरस्वती वंदना को कई विद्यालयों में भी गाया जाएगा जिससे पहाड़ के नौनिहालों को अपनी लोकभाषा से जुड़ने का अवसर मिलेगा,और माँगल शैली से भी विद्यार्थी बचपन से ही अवगत होंगे।

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आप भी जरूर सुनिए माँगलिक शैली में ये सरस्वती वंदना।

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