एक लाख दर्शकों को पसंद आया मेरी माँजी गढ़वाली गीत !आज फिर लागि गौले मा बडुली किले !

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माँ शब्द में ही संसार समाहित है,ईश्वर से भी बड़ा दर्जा माँ को प्राप्त है,क्योंकि वही हमें संसार के दर्शन कराती है,ऐसा ही हृदय को छूने वाला गीत मेरी माँजी गाया है युवा गायक बॉबी चौधरी ने ,इसे अब तक 1 लाख दर्शक पसंद कर चुके हैं। 

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शानदार शब्दों से रचित मेरी माँ जी गीत को बॉबी चौधरी ने संगीत एवं आवाज दोनों दी हैं,माँ का कर्ज जीवन भर नहीं चुकाया जा सकता है,वही जीवन दाता हैं इस ऋण का कोई मोल नहीं है,लेकिन भावनाएं व्यक्त की जा सकती हैं चाहे तब माध्यम कोई भी हो,गीत के माध्यम से ही क्यों न हो।

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बॉबी चौधरी द्वारा रचित ये बेहद ही मार्मिक गीत है,गीत के बोल जितने बेहतरीन हैं उतना ही बेहतर इसे बॉबी ने गाया भी है,जीवन में एक समय ऐसा भी आता है जब हम उम्र के ऐसे पड़ाव पर आते हैं शिक्षा एवं रोजगार के कारण घर से दूर हो जाते हैं तब एक ही नाम याद आता है वो है माँ ,जिसका आशीष सदैव सर पर होता है,मीलों की दूरी भी बात करके कम हो जाती है।

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एक नारी का जीवन बेहद ही जटिल होता है और पहाड़ में तो कठिनता शब्द भी कम पड़ जाता है, दिनचर्या की शुरआत से ही काम में पहाड़ की महिलाएं लग जाती हैं,घर जंगल से लेकर चूल्हे चौके तक का काम काफी मुश्किल होता है इन सबके बीच बच्चों का लालन पोषण करना होता है।

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अपने बच्चों के लिए एक माँ कई त्याग करती है जन्म से लेकर जन्म के बाद भी कई चीजों का त्याग करना होता है ,9 महीने कोख मेँ रखकर बच्चे का ध्यान रखना होता है लेकिन घर की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ती है ,सब हालातों से लड़ना एक माँ ही जानती है।

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लेकिन बदलते समाज में लोगों की मानसिकता इतनी संकीर्ण होती जा रही है कि भारत जैसे महान देश में वृद्धाश्रम जैसी चीजों की भरमार हो चली है,क्या अहसास होता होगा उस माँ के दिल में जिसने जन्म दिया जिसने ऊँगली पकड़कर चलना सिखाया,जिसने संसार दर्शन कराया,आज उसकी ऐसी दशा हो चली है बेटे साथ रहना तो दूर मिलना जुलना तक पसंद न करें,और ढोंग रचाया जाता है मदर्स डे का,हर दिन माँ का दिन है अगर उसके बेटे उसके साथ हैं ,अब शरीर से निर्बल हो चली है तो बेटों ने ही साथ छोड़ दिया,कहीं न कहीं एकल परिवार के चलन से इस कुप्रथा का जन्म हुआ है,जब तक संयुक्त परिवार रहते थे तब सब साथ मिलकर हंसी ख़ुशी रह लेते थे लेकिन आज के समय में मॉडर्न जमाना आ गया है,मैं मेरी पत्नी मेरे बच्चे की भावना ने ही वृद्धाश्रमों को जन्म दिया है।

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एक माँ के दुःख को शब्दों में पिरोना तो मुश्किल है लेकिन आप इस गीत को अपनी माँ को जरूर समर्पित कर सकते हैं,तो सुनते हैं बॉबी चौधरी का ये बेहद ही मार्मिक गीत मेरी माँ जी।

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